धनबादा कंपनी द्वारा बनाया जा रहा लघु जल विद्युत परियोजना में कई खामियां।

धरमजयगढ़ :- धरमजयगढ़ के भालूपखना गांव में धनबादा पॉवर एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा लघु जल विद्युत परियोजना अंतर्गत 7.5 मेगावाट स्माल हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का कार्य चल रहा है, इस प्रोजेक्ट से जो विद्युत उत्पादन होगा उसे धरमजयगढ़ में ही उपयोग किया जाएगा, पर कंपनी के निर्माण कार्य में भारी भ्रस्टाचार देखने को मिल रहा है। अब तक हुए निर्माण कार्यों को अगर बारीकी से देखा जाए तो कंपनी ने जितने भ्रस्टाचार किए है सब साफ- साफ दिखाई पड़ जाएंगे। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्युकी अगर धनबादा कंपनी जो कार्य धरमजयगढ़ के भालूपखना में कर रही है वह देखने से ही कार्य भ्रस्टाचार की गवाही दे रहा है।

निर्माण कार्य में गिट्टी के जगह जंगलों से निकालकर पत्थरों को डाला गया है। जितने स्टेप में ढलाई की गई है लगभग सभी स्टेपो में भारी मात्रा में पत्थर को आप तस्वीर में साफ साफ देख सकते हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तब करोडो का यह प्रोजेक्ट मिट्टी में मिल जाएगा और शासन को इससे अच्छा खासा नुकसान झेलना पड़ेगा, नियम के अनुसार ढलाई कार्य में गिट्टी का उपयोग किया जाना था पर उसके जगह पत्थर का उपयोग किया गया जिसके कारण ज़ब बरसात का मौसम आएगा तब लाखों लीटर पानी के दबाव में यह कितने दिन टिक सकेगा समय ही बताएगा।

विभाग को चाहिए की ऐसे भ्रस्टाचार कर रहे कंपनी पर कड़ी कार्यवाही करते हुए इनका टेंडर निरस्त कर वसूली की कार्यवाही करें और लाइसेंस निरस्त करें।बिना परमिशन वन विभाग की भूमि पर निर्माण को लेकर गरमाया माहौल आपको बतादे की कंपनी द्वारा वन विभाग की अधिकृत स्वीकृति के बिना ही वनभूमि और गैर वनभूमि पर प्रोजेक्ट का रोक लगने के बावजूद स्ट्रक्चर खड़ा कर दिया गया।

भालूपखना में धनवादा पावर एंड इन्फ्रास्टक्चर प्राइवेट लिमिटेड नामक एक निजी कंपनी को विधि विरुद्ध काम करने की लिए पूरा वन अमला सरेंडर हो गया और धनवादा कंपनी किसी तरह की कागजी प्रक्रिया पूरी किए बिना ही प्रभावित वन एवं गैर वन भूमि पर प्रोजेक्ट का कार्य शुरू कर दिया। इस तरह के उल्लंघन की जांच के लिए अधिकृत वन विभाग के स्थानीय डीएफओ की निगरानी के बावजूद धनवादा पावर कंपनी ने बिना किसी अधिकृत वन मंजूरी के इस प्रोजेक्ट के स्ट्रक्टर खड़ा कर दिया गया
क्या कहते हैं वन परिक्षेत्र अधिकारी
ज़ब इस सम्बन्ध में वन परिक्षेत्र बाकारुमा के रेंजर विष्णु मरावी से संपर्क कर जानकारी मांगी गई तब उन्होंने बताया की कंपनी द्वारा जुर्माना पटा दिया गया है। पर स्वीकृति दी गई है कि नहीं इस सम्बन्ध में उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी है।
