धनबादा कंपनी द्वारा घटिया निर्माण कर हाइड्रो प्रोजेक्ट में किया जा रहा सब्सिडी का खेल।

कही सरकार को चुना लगाने में तो नहीं लगे हाइड्रो प्रोजेक्ट के सिंडिकेट
धरमजयगढ़ :- धरमजयगढ़ के भालूपखना गांव में धनबादा पॉवर एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा लघु जल विद्युत परियोजना अंतर्गत 7.5 मेगावाट स्माल हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य चल रहा है। छोटे हाइड्रो प्रोजेक्ट्स, जिन्हें मिनी और माइक्रो हाइड्रो भी कहा जाता है, कई तरह से फायदेमंद होते हैं। वे ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति को बेहतर बनाते हैं, ऊर्जा की लागत को कम करते हैं, और पर्यावरण पर बड़े बांधों की तुलना में कम प्रभाव डालते हैं। पर धरमजयगढ़ में निर्माण कार्य देखकर कुछ अलग ही प्रतीत होता है।
धनबादा कंपनी द्वारा किया जा रहा घटिया निर्माण

- क्रेशर गिट्टी रॉयल्टी की चोरी कर खुदाई के पत्थर का उपयोग
धनबादा पॉवर एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा भालूपखना में जो निर्माण कार्य किया जा रहा है उसमें जिस जगह टर्बाइन मशीन को बैठाया जाएगा उस जगह कांक्रीट का जो स्ट्रक्चर बनाया गया है उसमें खोदाई के दौरान जो जमीन से पत्थर निकलने है उसे स्ट्रक्चर के बीच में कांक्रीट के दौरान भारी मात्रा में डाला गया है जो की तस्वीर में स्पष्ट रूप से दिख रहा है जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस स्ट्रक्चर निर्माण में कई टन गिट्टी की रॉयल्टी की चोरी की गई है।
- केनाल निर्माण में स्टील की चोरी
लघु जल विद्युत परियोजना अंतर्गत जो केनाल बनाया जा रहा है उसमें स्टील की चोरी की जा रही है। कांक्रीट में स्टील को उर्ध्वाधर (vertical) में तो लगाया गया है वही क्षैतिज (Horizontal) में सिर्फ नीचे की ओर दो ही स्टील लगाई गई है । अगर कंपनी द्वारा पूरी स्टील लगाई जाती तो केनाल कंक्रीट में लैपिंग के लिए स्टील दिखाई देती।

नहीं सह पाएगा केनाल पानी का दबाव
आपको बतादे के इसी केनाल के माध्यम से बरसात के दिनों में मिलियन क्यूबिक मीटर (लाखों लीटर) पानी होकर गुजरेगा वही पानी का दबाव काफी ज्यादा होता है वही धनबादा कंपनी द्वारा जो केनाल निर्माण किया जा रहा है उसमें ना ही अच्छे से कंपैक्ट किया जा रहा है, स्टील बचाया जा रहा है और साथ ही कांक्रीट के बाद पानी की तराई (क्यूरिंग) की जा रही है कांक्रीट के मैटेरियल केनाल के वाल से ज्यादा नीचे गिर रहे है वही इसे हाथों से छूने कांक्रीट झड़ रहे है। केनाल की गुणवत्ता को देखने से लग रहा है कि यह पानी में दबाव को झेल नहीं पाएंगे।
जानिए आखिर क्यू प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कर रही घटिया निर्माण
छोटे हाइड्रो प्रोजेक्ट्स में सरकार द्वारा वास्तविक लागत का 30% तक सब्सिडी मिलती है, जो 5 करोड़ रुपये तक सीमित है. यह वित्तीय सहायता डेवलपर को बैंक गारंटी के आधार पर दी जाती है, आमतौर पर 50% सिविल कार्य पूरा होने और इलेक्ट्रो-मैकेनिकल उपकरणों के लिए ऑर्डर देने के बाद।

कही करोड़ों रुपए की सब्सिडी हड़पने का तो नहीं चल रहा सिंडिकेट
आपको बतादे की करोड़ों रुपए की लागत से बन रहा भालूपखना गांव में धनबाद कंपनी द्वारा बनाया जा रहा स्माल हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट धरमजयगढ़ वासियों को बरसात के दिनों में लगभग 3 से 4 माह ही लाभ मिलेगा इसके बाद यह नदी में जल के अभाव में बंद रहेगा वही अगर घटिया निर्माण के वजह से स्ट्रक्चर या फिर केनाल में कोई समस्या आएगी तो आखिर इसका जिम्मेदार कौन होगा । सरकार द्वारा निजी कंपनियों को व्यापार करने के लिए जब करोड़ों रुपए का अनुदान दिया जाता है तो क्या प्रशासन का जिम्मेदारी नहीं बनता कि बीच बीच में गुणवत्ता की जांच की जाए पर जिम्मेदारों को तो कोई स्माल हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट में हो रहे लापरवाही से कोई लेना देना ही नहीं है कही व्यापार करने के नाम पर अनुदान देकर सिंडिकेट तो नहीं चलाया जा रहा।